नई दिल्ली: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) जल्द ही फैकल्टी भर्ती नियमन के लिए एक नया ड्राफ्ट जारी करने की तैयारी कर रहा है, जो कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में फैकल्टी की भर्ती प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करेगा। नए नियमों के अनुसार, अब उद्यमिता, स्टार्टअप्स और अन्य उभरते क्षेत्रों में रुचि रखने वाले पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री धारकों को भी सीधे फैकल्टी के रूप में कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नियुक्त किया जा सकेगा।

यूजीसी के चैयरमैन ने इस बदलाव की जानकारी देते हुए कहा कि यदि किसी उम्मीदवार ने ग्रेजुएशन, पोस्ट-ग्रेजुएशन और पीएचडी अलग-अलग विषयों में की है, तो उन्हें भी शिक्षक के रूप में भर्ती किया जा सकेगा।
यूजीसी 2018 के नियमों में बदलाव करेगा, नई योग्यता मानकों की तैयारी
यूजीसी के पुराने नियमों में बदलाव, अब अलग-अलग विषयों से पीएचडी वालों को भी मिलेगा मौका
यूजीसी 2018 के नियमन में बदलाव करने की योजना बना रहा है, जिसके तहत विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक और अन्य अकादमिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए तय न्यूनतम योग्यता और मानक में संशोधन होगा। पुराने नियमों के तहत, चार वर्षीय ग्रेजुएशन/पोस्ट-ग्रेजुएशन के साथ पीएचडी होना आवश्यक था। इसके अलावा, ग्रेजुएशन, पोस्ट-ग्रेजुएशन और पीएचडी सभी एक ही विषय से होना अनिवार्य था। अब, यूजीसी इस नियम में बदलाव करने जा रहा है ताकि ज्यादा लचीला और विविधतापूर्ण योग्यताओं को सम्मान मिल सके।
इस बदलाव को लेकर पिछले छह महीने में विस्तृत समीक्षा की गई थी, और अब नए ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
शोध पर जोर: यूजीसी का नया दृष्टिकोण
शोध को बढ़ावा देने के लिए नई दिशा, शोध की गुणवत्ता और मान्यता पर विशेष ध्यान
यूजीसी के चैयरमैन ने बताया कि अब शोध पर अधिक ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि वर्तमान में गैर-प्रमाणित और संदिग्ध प्रकाशनों से संबंधित तथ्यों को पेश किया जाता है, जिससे विकास की गति धीमी पड़ जाती है। इस संकीर्ण सोच को बदलने के लिए शोध को और अधिक मजबूत किया जाएगा, ताकि भविष्य में समाज और उद्योग के लिए आवश्यक कौशल से लैस ग्रेजुएट युवा तैयार हो सकें और देश की प्रगति में योगदान दे सकें।

शिक्षा नीति और फैकल्टी भर्ती में सुधार
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण से नए नियमों का महत्व
यूजीसी चैयरमैन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-20) का हवाला देते हुए कहा कि 2018 के नियम अब काफी पुरानी पड़ चुकी हैं। विशेष रूप से, स्टार्टअप और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में श्रेष्ठता दिखाने वालों को अब तक कमतर माना जाता रहा है, जबकि अब उन्हें उचित स्थान देने का समय आ गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने के लिए फैकल्टी स्टाफ में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को भर्ती करने की जरूरत है, ताकि भारतीय शिक्षा व्यवस्था और देश के विकास में योगदान दिया जा सके।
निष्कर्ष
यूजीसी का यह कदम भारतीय उच्च शिक्षा में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है, जहां नवीनतम क्षेत्रों और उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाएगा। इस बदलाव के जरिए अधिक योग्य और विविधतापूर्ण फैकल्टी में नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा, जो भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।