जस्टिस संजीव खन्ना को राष्ट्रपति ने दिलाई भारत के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिलाई शपथ, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के बाद अब जस्टिस खन्ना का नेतृत्व

नई दिल्ली: सोमवार को जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति भवन में भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। यह सादे और गरिमापूर्ण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना का नाम जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा सुझाया गया था, जो 10 नवंबर 2024 को 65 साल की आयु में इस पद से रिटायर हो गए। जस्टिस खन्ना के लिए यह एक ऐतिहासिक पल था, क्योंकि वह न्यायपालिका की शीर्ष सीट पर बैठने वाले एक और खन्ना परिवार के सदस्य हैं। उनके चाचा, जस्टिस एच.आर. खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज थे, जिन्होंने अपने समय में कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा बने।


जस्टिस संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना की न्यायिक यात्रा: एक गरिमामय करियर

तीसरी पीढ़ी के वकील से सुप्रीम कोर्ट के जज तक का सफर

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, वे एक प्रतिष्ठित वकील के रूप में कार्य करने लगे और दिल्ली हाई कोर्ट के जज नियुक्त होने से पहले तीसरी पीढ़ी के वकील थे। इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति और ऐतिहासिक फैसले
18 जनवरी 2019 को जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलाई गई थी। तब से अब तक, उन्होंने 456 पीठों का हिस्सा रहते हुए 117 महत्वपूर्ण फैसले लिखे। जस्टिस खन्ना ने EVM की पवित्रता बनाए रखना, अनुच्छेद 370 को निरस्त करना, चुनावी बॉंड योजना को रद्द करना और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देना जैसे ऐतिहासिक फैसलों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

#WATCH | Delhi: President Droupadi Murmu administers the oath of Office of the Chief Justice of India to Sanjiv Khanna at Rashtrapati Bhavan. pic.twitter.com/tJmJ1U3DXv


जस्टिस संजीव खन्ना का नेतृत्व: सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक यात्रा

51वें चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस खन्ना का कार्यकाल
जस्टिस संजीव खन्ना के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल की अवधि 11 नवंबर 2024 से 13 मई 2025 तक होगी। सुप्रीम कोर्ट में अपनी वरिष्ठता के आधार पर, जस्टिस खन्ना इस पद पर 6 महीने के लिए काबिज होंगे और इस दौरान वे देश की न्यायिक व्यवस्था का नेतृत्व करेंगे। यह समय उनके लिए न्यायपालिका की दिशा निर्धारित करने का महत्वपूर्ण अवसर होगा।


एक न्यायिक विरासत: खन्ना परिवार का योगदान

जस्टिस एच.आर. खन्ना की न्यायिक परंपरा का सम्मान

जस्टिस संजीव खन्ना का संबंध खन्ना परिवार से है, जो भारतीय न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण नाम है। उनके चाचा, जस्टिस एच.आर. खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए कई ऐतिहासिक फैसले दिए, और उनके फैसलों ने भारतीय न्यायपालिका की दिशा को प्रभावित किया। जस्टिस एच.आर. खन्ना की सुप्रीम कोर्ट में इस्तीफे की घटना भी एक मील का पत्थर साबित हुई, और उनका चित्र अभी भी सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में दर्शाया जाता है। जस्टिस संजीव खन्ना का शपथ ग्रहण इसी कोर्ट रूम से हुआ, जो एक सुखद संयोग था।


भविष्य की दिशा: न्याय वितरण में तेजी और पारदर्शिता

न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए प्रतिबद्ध

जस्टिस संजीव खन्ना के कार्यकाल के दौरान, उनकी प्राथमिकता न्याय वितरण में तेजी लाने और लंबित मामलों को कम करने की होगी। उन्होंने अपनी कार्यशैली में सुधार और पारदर्शिता को महत्वपूर्ण माना है, और उन्हें उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और प्रक्रियाएँ और भी प्रभावी हो सकेंगी।


जस्टिस संजीव खन्ना का चयन भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायिक जगत के लिए एक सम्मान की बात है। उनकी लंबी और समृद्ध न्यायिक यात्रा, उनके परिवार की न्यायिक परंपरा और उनके ऐतिहासिक फैसले भारतीय न्यायपालिका को मजबूती प्रदान करेंगे।

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